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आई रे होली आई रे ,
आई रे होली आई रे ,
गुलाल और रंगो में खुशियां, मिल गई है
लाल, हरे, गुलाबी और पीले पानी क़े गुब्बारों में, अब वो घुल गई है
आई रे होली आई रे ,
आई रे होली आई रे ,
पिचकारी से अब, प्यार बरसेगा
राधा क़े हाथो, अब नन्दलाल भीगेगा
दीवारे और ज़मीन भी अब इन्द्रधनुषी बनेगी
क्यूंकि रिश्तो से अब, अपनेपन की मिठास टपगेगी
….. सोहन हिन्द

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