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होली के गुलालों में 5/5 (2)

कूचे कूचे में हर मस्कन में
नज़र फरेब मंज़र है फिज़ाओ में
केह दो कायनात के त्योहारों से खुशियाँ नहीं लौटेंगी अब
वो रंग चुकी है होली के गुलालों में
…Md shakir

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