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Rose Day Special – Manish 5/5 (1)

इक पल के लिए मैंने सोचा कि तुमको खत में गुलाब दूँ,
फिर सोचा कि आफरीन को नज़राना कैसा क्यूं कोई खिताब दूँ…

….. मनीष

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