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कभी सोकर गुजरी है, कभी रोकर गुजरी है,
रात की तन्हाई तेरी यादों में खोकर गुजरी है !
एक-एक हर्फ में अहसासों को पिरोया है मैनें,
मेरी हर ग़ज़ल तेरे ख्यालों से होकर गुजरी है !!

……………..अर्पित

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