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Udaas Shayari

नसीब – मेरी Amanat 5/5 (1)

इतने गहरे ज़ख्म थे के निशाँ मैं हटा न सकूँ,
इतना ज़िद्दी नसीब है के हाथों से मिटा न सकूँ,
कुछ यूँ बस गया मेरे मन में एक बेवफ़ा हुस्न,
उससे कम्बख़्त इश्क़ ऐसा के चाह के भी घटा न सकूँ!

…… मेरी Amanat

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