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Sharaab Shayari

Teri khatir chhodh – Rajesh Jain Rahi 5/5 (2)

तेरी खातिर छोड़ चुका हूं,
कंचन की पर्वतमाला।
तेरे आगे फीकी लगती,
सात समंदर की हाला।

आकर तुम ढालो तो गटकूं,
मैं ढालूं तुम पान करो।
अटल अडिग अविचल अविनाशी
प्रियतम मेरी मधुशाला

…… राजेश जैन राही

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