Yah sawan manbhawan hai – Purushottam Singh Rajput
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हवाएं..! वृक्षों को झुका रही हैं…. बादल..! सूरज को छिपा रही हैं…. कलियां..! पुष्प बनकर खिल -खिला रही हैं…. भंवरा..! फूलों को देख गुनगुना रही हैं…. चिड़िया..! चहक- चहक कर मुस्कुरा रही हैं…. यह सावन मनभावन है