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Bahe jameen pe jo mera lahoo 5/5 (1)

बहे ज़मीं पे जो मेरा लहू तो ग़म मत कर
इसी ज़मीं से महकते गुलाब पैदा कर
तू इंक़लाब की आमद का इंतिज़ार न कर
जो हो सके तो अभी इंक़लाब पैदा कर

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