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Pitaa 5/5 (1)

कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता,
कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता,
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात,
सब समेटकर आसमान सा फैला है पिता!

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