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Sachhai ke aaine ko – Arpit 5/5 (1)

सच्चाई के आईने को झूठ के मुखौटे से मूँह चिढ़ा रहा है,
जहाँ देखो गंदगी, दुराचार, उन्माद, भ्रष्टाचार फैला रहा है!
अंहकार, क्रोध, लालच, ईर्ष्या क्या नहीं है आज के इंसान में,
देखो कलयुगी रावण त्रेतायुग के रावण को जला रहा है!!

………… अर्पित

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