चलन आशिक़ी -ऐ -वतन गन्दा हो गया
देश को गली देना धंधा हो गया
जो करते थे अदब और लिहाज़ की बातें
वो हर आदमी सियासत में नंगा हो गया
जिनकी नज़र में बदलते हैं रंग ईमान के हर रोज़
मेरी नज़र में खुदा वो भिखारी अँधा हो गया
मोहब्बत की ग़ज़ल गाकर बने थे वो मेरे मेहबूब
उन्ही से शादी हो गए सालों का फंदा हो गया
तेरे मिलने के वादे और वादों के वादे
मेरा तो क्रन्तिकारी खून ठंडा हो गया
कह दो अभी हैं मुल्क में बाकी कईं बदनाम
मेरा झंडा जिनके लिए एक डंडा हो गया