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Kisi shazar ke sage nahi hain No ratings yet.

किसी शजर के सगे नहीं हैं ये चहचहाते हुए परिंदे, 
तभी तलक ये करें बसेरा दरख़्त जब तक हरा भरा हैै! 

……. गोपालदास नीरज

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