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Neend se mera taalluk hi nahi 5/5 (1)

नींद से मेरा तअल्लुक़ ही नहीं बरसों से, 
ख़्वाब आ आ के मिरी छत पे टहलते क्यूँ हैं! 

……. राहत इंदौरी

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