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Wo aadmi nahi hai mukammal – Dushyant Kumar 5/5 (1)

वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है
माथे पे उस के चोट का गहरा निशान है

वो कर रहे हैं इश्क़ पे संजीदा गुफ़्तुगू
मैं क्या बताऊँ मेरा कहीं और ध्यान है

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