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रंग दिया तूने मुझे यूं अपने प्रेम रंग से,
होली के सारे रंग फिके लगते हैं
नशा चढ़ा तेरे इश्क़ का यूं
कि भांग का नशा भी फिका लगता है।
              तारा पांडेय”मुक्तांशा”

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