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Har ilzaam ka hakdaar hamen bana 5/5 (1)

हर इल्ज़ाम का हक़दार हमें बना जाती है
हर खता की सजा वो हमें बता जाती है
हम हर बार यूं ही खामोश रह जाते हैं
हर बार रक्षाबंधन का डर दिखा जाती है

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