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Tanhaayi Shayari

आईना – मेरी Amanat 5/5 (1)

दीदार था हिज़्र की रात भी उस अजनबी का,
के आईने में भी वो अपनी तस्वीर छिपा गयी है,
उसके जाते ही मैंने बहुत तलाशा मुझमें मुझ को,
अरे ये क्या, मेरे चेहरे पर ही वो अपना चेहरा बना गयी है..

…… मेरी Amanat

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